शरीर को कायाकल्प करते हैं यौगिक षट्कर्म
षट्कर्म दो मुख्य प्राण प्रवाहों इड़ा और पिंगला के मध्य सामंजस्य स्थापित करते हैं ,जिससे शारीरिक और मानसिक शुद्धि एवं संतुलित की प्राप्ति होती है ये शरीर में उत्पन्न त्रिदोषों वात,पित्त और कफ़ को भी संतुलित करते हैं आयुर्वेद एवं हठयोग दोनों के अनुसार , इन त्रिदोषों में असंतुलन ही रोग का कारण बनता है …